क्या हमको मासूमों पर रहम आएगा ?
जिन्हें कहते हैं मासूम हम, उन्हें ही खौफ़ भरा भविष्य थमा दिया हमने।
जिनके हाथों की उंगलियों से खेलते थे हम, उन्हें ही खौफ़ का दामन थमा दिया हमने।
आतंक और खौफ़ का मंज़र हमारी दुनिया में इस कदर फ़ैल गया है कि इसकी चपेट में न सिर्फ़ बड़े आते हैं बल्कि इनके निशाने में पर मासूम भी हैं। दुनियाभर में मासूमों पर कई तरह के ज़ुल्म होते हैं। कुछ इनके साथ बड़े हो जाते हैं तो कुछ दुनिया को अलविदा कहना ही बेहतर समझते हैं। ऐसे ही मासूमों की तस्वीरों से आपको रूबरू करवाते हैं जिनके साथ वो हुआ जिसके ये मासूम कतई हकदार नहीं थे।
1. कोलंबिया का Nevado Del Ruiz ज्वालामुखी साल 1985 में फटा था। इससे निकले मलबे ने करीब 2500 लोगों की जान ले ली थी। करीब 3 दिन बाद जब वहां बचाव अभियान चलाया गया तब एक लड़की उस मलबे में फंसी मिली, जब तक उस मलबे से उसे निकाला जाता उसकी मौत हो गई थी। इस तस्वीर को लेने के चंद घंटों बाद ही उसकी मौत हुई थी।
2. इराक की लड़ाई के दौरान एक विस्फ़ोट में इस बच्चे को काफ़ी चोटें आई थीं। इसका इलाज काफ़ी वक़्त तक चला। इलाज के दौरान इसका एक हाथ काटना पड़ा साथ ही इसकी एक आंख भी निकालनी पड़ी। इस बच्चे को वहां के डॉक्टर्स ने ‘Lion Heart’ नाम दिया।
3. भारत में अब तक हुई सबसे बड़ी त्रासदी, भोपाल गैस कांड शायद कोई भी नहीं भुला सकता। करीब 15 हज़ार लोगों की जान इस कांड ने ले ली थी। बाकी की कहानी ये तस्वीर ही बयां कर देगी।
4. भारत में आई सुनामी का दर्द अभी भी हम भुला नहीं पाए हैं। लाखों लोगों को प्रकृति के भयानक रूप ने लील लिया था। इस तस्वीर से आपको हर उस शख़्स के दर्द का एहसास होगा, जिसने अपनों को खोया था।
5. मयामी में आए तूफ़ान के बाद इस तस्वीर को खींचा गया था। इस तस्वीर में बच्चा ट्राली को खींचने की कोशिश कर रहा है। इस तूफ़ान ने पूरा Haiti तबाह कर दिया था।
6. Kosovo शर्णार्थियों की ली गई इस तस्वीर में दिखाया गया है कि कैसे वहां के लोगों ने बॉर्डर को पार किया था। इस तस्वीर के लिए Carol Guzy नामक पत्रकार को ईनाम भी मिला था।
7. युद्ध के दौरान ईराक के हालात इस कदर बद से बद्दतर हो जाएंगे, जिसका उदाहरण है ये तस्वीर। एक मां अपने मरे हुए बेटे की लाश से बात करने की कोशिश कर रही है। ये हादसा तब हुआ था जब ये बच्चा स्कूल से पहली बार घर आ रहा था।
8. थाईलैंड में आई सुनामी के बाद जब साल 2005 में खुदाई की गई तब वहां से करीब 5000 से ज़्यादा लाशें मिली थी. इनमें कई बच्चे भी थे।
9. जब युद्ध में गोलियां चलती हैं और बम गिराए जाते हैं तो वो उम्र पूछ कर लोगों को नहीं मारते। इराक युद्ध के दौरान एक बच्ची की तस्वीर चर्चा का विषय बनी थी। हॉस्पिटल में खींची गई इस तस्वीर के बाद वहां के हालात पूरी दुनिया के सामने आ गए थे।
10. इराक युद्ध के दौरान सिर्फ़ बड़ों को बंदी नहीं बनाया गया था, बल्कि बच्चों को भी कई तरह के अत्याचारों का सामना करना पड़ा था. इन अत्याचारों से कई बच्चों की जान भी चली गई थी। उन्ही में से एक ये बच्चा था, जिसकी लाश अपनी गोद में लिए एक बाप रो रहा है।
यह पोस्ट भाई जयंत पाठक की है। इस पोस्ट को देखने के बाद मन व्यथित हो गया। ऐसा नहीं है की इस तरह के चित्र, समाचार, हादसे पहली बार देखे हैं। लेकिन रात में जब ग़ौर से जब इन चित्रों को देखा तो दिल दहल गया और मैंने अपने दिल की दशा लगभग तीन पेजों में लिख डाला। और सुबह पोस्ट करूँगा यह सोचकर कंप्यूटर बंद कर दिया।
सुबह जब मैं पोस्ट करने बैठा तो सोचा कि इस पोस्ट को करने क्या फ़ायदा। क्या हमारा ज़मीर, हमारी इंसानियत ज़िंदा बची है? हम पोस्ट सिर्फ like करतें हैं, पढ़ते नहीं। यह सोच कर मैंने पोस्ट delete कर दी। लेकिन व्यथित मन ने कहा अभी लोगों का ज़मीर, इंसानियत पूरी तरह से मुर्दा नहीं हुई है। अभी बहोत से बाजमीर इंसान मौजूद हैं। वह हिन्दू हों, दलित हो, मुस्लमान हो, सिख हो, ईसाई हो, यहूदी हो, बौद्ध हो, कोई भी हों, पर इंसान हों।
यह पोस्ट गन्दी बातें करने वाले, गाली बकने वाले, नफरत करने या फैलाने वाले, हिंसा फैलाने वालों के लिए नहीं है। यह सिर्फ और सिर्फ मुहब्बत और ज़मीर से भरे दिल वाले इंसानों के लिए है।
इस पोस्ट ने अगर आपको ज़रा भी झकझोरा हो तो खड़े हो जाइये नया समाज निर्माण करने के लिए। जहाँ सिर्फ इंसान हों। वह इंसान जो किसी को मंदिर, मस्जिद, गुरद्वारे, चर्च में जाने से रोकतें ना हों। जो नफरत की राजनीती, हिंसा, द्वेष, मक्कारी से दूर हों। जो दुनिया में प्यार, मुहब्बत, अपनापन, अमन को अपना जीवन समर्पण करने के लिए तैयार हो।
और………………………… यह हो सकता है। हम मिलकर इस समाज का निर्माण कर सकतें हैं। ……………………….ज़रुरत है पहल की।
हम लोग कोई कम्युनिटी, पेज या ग्रुप बनायें जिसमे दुनिया के सिर्फ इंसान जमा हों। और एक दूसरे की मदद के तैयार रहें। कम्युनिटी, पेज या ग्रुप के लिए राय का आपका इंतज़ार रहेगा।
आपका भाई
जेया उस शम्स
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