Nikah Kaise Ho?

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निकाह किससे करे:

निकाह के लिये अकसर लड़की-लड़का का इन्तेखाब इस बिनाह पर होता हैं के वो खूबसूरत, खानदानी और मालदार हो जबकी शरियत ने लड़की-लड़का का इन्तेखाब जिन चीज़ो पर किया हैं वो इस तरह हैं-

हज़रत अबू हातिम मज़नी रज़ि0 से रिवायत हैं के नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने फ़रमाया –

“जब तुम्हारे पास ऐसा शख्स आये जिसके दीन और इख्लाक को तुम पसन्द करते हो तो इस से निकाह कर दो| अगर ऐसा नही करोगे तो ज़मीन मे फ़ित्ना और फ़साद होगा| सहाबा रज़ि0 ने अर्ज़ किया ऐ अल्लाह के रसूल सल्लललाहो अलेहे वसल्लम अगरचे वो मुफ़लिस ही क्यो न हो| फ़रमाया – अगर दीनदारी और इख्लाक को तुम पसन्द करते हो तो इस से निकाह कर दो| यही अल्फ़ाज़ तीन मरतबा फ़रमाये|”
(तिर्मिज़ि)

लिहाज़ा निकाह के लिये अमीर होना या ऊचां खानदान होना शर्त नही बस दीनदार होना काफ़ी हैं|

हज़रत अबदुल्लाह बिन उमरो रज़ि0 से रिवायत हैं के नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने फ़रमाया-

“दुनिया फ़ायदे की चीज़ हैं और दुनिया के साज़ो सामान मे नेक औरत से बेहतर कोई चीज़ नही|”
(इब्ने माजा)

हज़रत अबू हुरैरा रज़ि0 से रिवायत हैं के नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने फ़रमाया –

“औरतो से चार चीज़ो की वजह से निकाह किय जाता हैं| इसके माल की वजह से, इसके हसब व नसब की वजह से, इसके हुस्न व जमाल की वजह से, इसकी दीनदारी की वजह से| तू दीनदारी औरत से निकाह कर| तेरा भला हो|”
(इब्ने माजा, दारमी, अबू दाऊद)

हदीस नबवी से साबित हैं के निकाह के लिये औरत और मर्द का इन्तेखाब सिर्फ़ दीनदारी की बिना पर हैं|

हज़रत अनस रज़ि0 से रिवायत हैं के नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने फ़रमाया –

“निकाह करो मैं तुम्हारी कसरत पर फ़ख्र करूं|”
(इब्ने माजा)

हज़रत मअकल बिन यसार रज़ि0 से रिवायत हैं के एक शख्स नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम की खिदमत मे आया और कहा –

“मुझे एक औरत मिली जो उम्दा हसब व जमाल वाली हैं मगर इसके औलाद नही होती तो क्या मैं इससे शादी कर लूं? नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने फ़रमाया – नही| फ़िर वो दोबारा आया तो आपने मना कर दिया| फ़िर वो तीसरी बार आया तो आप सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने फ़रमाया – ऐसी औरतो से निकाह करोजो मुहब्बत करने वाली हो और बहुत से बच्चे जनने वाली हो| बिला शुबहा मैं तुम्हारी कसरत से दिगर उम्मतो पर फ़ख्र करने वाला हूं|”
(अबू दाऊद)

मालूम हुआ के निकाह का एक मकसद ये भी हैं के मर्द और औरत अज़वाजी ज़िन्दगी के तहत कसरत से नई नस्ल की तख्लीक करे ताकि नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम अपनि उम्मत की तादाद पर फ़ख्र करे जबकि मौजूदा समाज मे अकसरियत का ख्याल बर्थ कन्ट्रोल यानी कम बच्चे पैदा करने का हैं ताकि वो एक या दो ही बच्चो को पैदा कर उनकी अच्छे से परवरिश कर सके| गौरतलब हैं के बच्चो की ज़्यादा से ज़्याद तख्लीक से उम्मत इस्लाम के मानने वालो की तादाद मे इज़ाफ़ा होगा जिसके सबब नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम को फ़ख्र होगा के उनके उम्मती सबसे ज़्यादा हैं|

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