Nikah Kaise Ho?

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निकाह के लिये उम्:

ये एक बहुत अहम मसला हैं क्योकि लड़का या लड़की के निकाह के लिये सही उम्र क्या हैं| आमतौर से मआशरे मे लड़कियो के वालिदैन ये सोचते हैं कम से कम लड़की कँपाया वी जमात मुकम्मल कर ले तब निकाह किया जाये ताकि सुसराल मे उसे जाहिल या फ़ूहड़ होने के ताने न मिले|

हज़रत आयशा रज़ि0 से रिवायत हैं-

“जब नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने उनसे निकाह किया उस वक्त इन की उम्र 6 साल थी और जब सोहबत की तो इस वक्त इनकी उम्र 9 साल थी और वो वोरना साल आप के पास रहे|”
(बुखारी)

ये हदीस कोई आम किस्म की मामूली हदीस नही हैं बल्कि उन तमाम वलिदैन के लिये एक अमली नमूना हैं जो बिना किसी जायज़ उज्र के बेटियो के निकाह मे ताखीर करते हैं|

ज़रा हिसाब लगाईये के अगर एक लड़की 10 वी जमात तक तालिम लेती हैं तो उसकी उम्र 15-16 बरस की होती हैं और 12 वी जमात मुकम्मल करती हैं तो 18 या 200 बरस| अगर तालिम का ये सिलसिला जारी रहे यानि कोई डिप्लोमा या डिग्री जारी रहे तो तोड़े से सेंसर साल की उम्र मे ये तालिम का सिलसिला मुकम्मल होगा|

गौर फ़िक्र की बात ये हैं के लड़का या लड़की के बालिग होने मे मुल्कि आबो हवा का दखल होता हैं और हमारे मुल्क की आबो हवा के मुताबिक लड़की तकरीबन 13-15 साल की उम्र मे बालिग हो जाती हैं इस लिहाज़ से खुद हिसाब लगाया जा सकता हैं के वालिदैन ने अपनी औलादो के निकाह मे कितनी ताखीर की| ये वक्त जो औलाद ने बिना निकाह के गुज़ारा हैं इतने लंबे अर्से इनको सिर्फ़ जायज़ नफ़सियात को दबाना पड़ता हैं और अपने आप पर ज़ुल्म करना पड़ता हैं| जिसके भयानक असरात का वालिदैन तसव्वुर भी नही कर सकते|

मिडिया की कुछ मिसाल नीचे मौजूद हैं-

राष्ट्रीय सहारा अखबार ने 14 जुलाई 2006 मे एक रिपोर्ट दी जिसमे उत्तर प्रदेश हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी जिस्मफ़रोशी की मन्डी हैं जिसकी औसतन कमाई कमाईं हज़ार करोड़ सलाना हैं|
राष्ट्रीय सहारा अखबार ने 16 जून 2005 एक रिपोर्ट दी जिसमे मोबाईल के ज़रिये ब्लू फ़िल्मो और नंगी तस्वीरो के ज़रिये 2300 करोड़ का कारोबार हुआ|

अखबार की इन खबरो पर अगर गौर किया जाये तो ये पता चलता हैं कि ये करोबार किसी दूसरे मुल्क मे नही बल्कि हमारे मुल्क मे ही हुआ हैं और इस कारोबार मे हमारे समाज के ही लोग जुड़े हैं जिन्होने इस कारोबार को किया और समाज मे गन्दगी फ़ैलायी| सबसे खास बात ये की क्या इस ब्लू फ़िल्म और नंगी तस्वीरो के देखने वाले सिर्फ़ शादी-शुदा, बालिग मर्द और औरते ही थे या गैर शादी-शुदा, नाबालिग मर्द और औरते भी थी|

कोई शक नही के इन बदतरीन गुनाह से बचने के लिये सिर्फ़ एक रास्ता हैं और वो हैं के निकाह सही उम्र और सही वक्त पर हो ताकि नयी नस्ल इन बदतरीन गुनाह से बची रहे|

इन बातो से मुराद ये नही की लड़की का तालीमी सिलसिला बन्द कर उसे फ़ौरन किसी के निकाह मे दे दिया जाये| एक औरत जब अपने शौहर की सरपरस्ती मे होती हैं तो ये ज़िम्मेदारी उसके शौहर की होती हैं के वो उसके तालीमी सिलसिले को जारी रखे|

जारी है………….। आगे पढ़ने के लिए क्लिक करें……..।