Nikah Kaise Ho?

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वलीमा कैसे करें:

वलीमा दरहकीकत शौहर की तरफ़ से इज़हारे खुशी हैं और लोगो को इस बात से रूबरू कराना हैं के उसने निकाह कर लिया हैं और उसके साथ रहने वाली औरत उसकी बीवी हैं न के गैर महरम जिसको अगर कोई उसके साथ देखे तो मर्द के किरदार पर शक न करें|

ऊपर एक हदीस गुज़र चुकी हैं जिसमे अल्लाह के रसूल ने हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ़ को कम से कम एक बकरी पर वलीमा करने का हुक्म दिया इसके अलावा नीचे कुछ और हदीस मौजूद हैं जो वलीमे के ताल्लुक से हैं-

हज़रत अनस रज़ि0 से रिवायत हैं के निकाह किया नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने हज़रत सफ़िया रज़ि0 से और मुकरर्र की उनकी मेहर उनकी रिहाई| अगले दिन सुबह आपने फ़रमाया –

जिसके पास जो कुछ हैं वो लाओ और एक दस्तरखान बिछा दिया चमड़े का और कोई लाने लगा अकत(दही सुखा कर बनाते हुये) और कोई खजूर और कोई घी| इन सब को तोड-ताड कर खूब मिलाया और ये वलीमा हुआ नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम का|”
(सहीह मुस्लिम)
“हज़रत सफ़िया बिन्ते शैबा रज़ि0 ने फ़रमाया नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने अपनी एक बीवी का वलीमा दो मद (तकरीबन पौने दो सेर) जौ से किया था|”
(सहीह बुखारी)

दुनिया के किसी मज़हब मे ऐसी मिसाल नही मिलती जो लोगो को निकाह के नाम पर इतनी सहूलत फ़राहम करे| बावजूद इसके लोग आज वलीमे के नाम पर भी कम्पीटीशन करते हैं और ये गुमान करते हैं के उनका वलीमा दूसरो से अच्छा हैं और तो और वलीमे की इस अज़ीम सुन्नत के नाम पर दावती खाने पर भी लोग तफ़रका करते हैं और अकसर वलीमा मे गुरबा और मिसकीन को दावत नही देते|

ऐसे लोगो के लिये नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम का फ़रमान हैं-

“हज़रत अबू हुरैरा रज़ि0 से रिवायत हैं के इस वलीमे का खाना बदतरीन खाना हैं जिसमे दौलतमंदो को बुलाया जाये और गरीबो को न बुलाया जाये और जिस ने वलीमे की दावत कबूल न की इसने अल्लाह और इसके रसूल सल्लललाहो अलेहे वसल्लम की नाफ़रमानी की|”
(इब्ने माजा)

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