पिछले 26 सालों मैं रोज़े रख रही हूँ, मैं बेसब्री से रमजान का इंतज़ार करती हूं – सुजाता पाटिल, मुंबई सीनियर महिला पुलिस अफसर
“रोज़ा रखने से मुझे सुकून मिलता है और मेरे ज़हन को ईमानदारी और शांति से काम करने की ताक़त मिलती है। पिछले 26 सालों मैं रोज़े रख रही हूँ अब तो यह मेरी ज़िन्दगी का एक हिस्सा हैं और मैं बेसब्री से रमजान के महीने का इंतज़ार करती हूं।”
-मुंबई पुलिस की सीनियर महिला अफसर सुजाता पाटिल
भारत जैसे विविध धर्मों और संस्कृति वाले देश में तकरार और विवाद होना एक आम बात है लेकिन इन्हीं तकरारों और विवादों के बीच ऐसी घटनाएं भी होती रहती है जिसे देख सुनकर फिर विश्वास पुख़्ता हो जाता है कि भले ही समाज जाति-धर्म में बंटा हो लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस खाई को शिद्दत के साथ भरने में लगे रहते हैं।
ऐसा ही एक नाम है मुंबई पुलिस की सीनियर महिला अफसर सुजाता पाटिल जो पिछले 26 साल से रमज़ान में पूरे तीस रोज़े रखती आ रही हैं।
रमज़ान मे सुजाता बाकी मुस्लिमों की तरह ही सुबह उठकर सेहरी करती हैं और शाम को इफ्तार के साथ रोज़ा खोलती हैं। पुलिस की कठिन ड्यूटी के बावजूद वह एक भी रोज़ा नहीं छोड़ती और कई बार तो उनकी इस आदत की वजह से अपने अफसरों के गुस्से का शिकार भी होना लेकिन सुजाता डटी रहीं और रोज़े रखना जारी है।
सुजाता का कहना है, ”रोज़ा रखने से मुझे सुकून मिलता है और मेरे ज़हन को ईमानदारी और शांति से काम करने की ताक़त मिलती है। पिछले 26 सालों मैं रोज़े रख रही हूँ अब तो यह मेरी ज़िन्दगी का एक हिस्सा हैं और मैं बेसब्री से रमजान के महीने का इंतज़ार करती हूं।”
अल्लाह इनको जल्द से जल्द हिदायत दे। आमीन या रब्बुल आलमीन … ।
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