मस्तिष्क के बारे में कुरआन का नजरिया
सिर का सामने का हिस्सा योजना बनाने और अच्छे व बुरे व्यवहार के लिए प्रेरित करता है। मस्तिष्क का यही पार्ट सच और झूठ बोलने के लिए जिम्मेदार है। वैज्ञानिकों को पिछले साठ सालों में इस बात का पता चला है जबकि कुरआन तो चौदह सौ साल पहले ही यह बता चुका है।
अल्लाह ने कुरआन में पैगम्बर मुहम्मद सल्ललाहो अलेहेवस्सल्लम को काबा में इबादत करने से रोकने वाले विरोधियों की एक बुराई का जिक्र कुछ इस तरह किया है- कदापि नहीं,यदि वह बाज नहीं आया तो हम उसके नासिया (सिर के सामने के हिस्से) को पकड़कर घसीटेंगे। झूठे, खताकार नासिया। (कुरआन ९६:१५-१६)
सवाल उठता है कि कुरआन ने मस्तिष्क के सामने के हिस्से को ही झूठा और गुनाहगार क्यों कहा है?कुरआन ने उस व्यक्ति को गुनाहगार और झूठा कहने के बजाय उस हिस्से को दोषी क्यों माना? पेशानी और झूठ व गुनाह में आखिर ऐसा क्या संबंध है कि कुरआन ने व्यक्ति के बजाय पेशानी को झूठ और गुनाह के लिए जिम्मेदार माना?
अगर हम सामने के सिर के ढांचे पर गौर करें तो मस्तिष्क के सामने की ओर एक हिस्सा पाएंगे। शरीर विज्ञान का मस्तिष्क के इस हिस्से के बारे में क्या कहना है? एसेन्शियल्स ऑफ एनाटॉमी एण्ड फिजियोलोजी नामक किताब मस्तिष्क के इस भाग के बारे में बताती है-योजनाएं बनाने और इसकी क्रियान्वयन संबंधी गतिविधियों का केन्द्र मस्तिष्क का यह सामने वाला हिस्सा ही होता है। मस्तिष्क का यह भाग प्रेरित करने में ही शामिल नहीं होता बल्कि आक्रामकता का केन्द्र बिन्दु भी यही होता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सिर का सामने का हिस्सा ही योजना बनाने और अच्छे व बुरे व्यवहार के लिए प्रेरित करता है। मस्तिष्क का यही पार्ट सच और झूठ बोलने के लिए जिम्मेदार है। यही वजह है कि जब कोई झूठ और गुनाह करता है तो झूठा और गुनाहगार उसके सिर का सामने का हिस्सा होता है,जैसा कि कुरआन ने गुनाह करने पर उस व्यक्ति के बजाय उस हिस्से के लिए कहा है-ए झूठे, खताकार नासिया (सिर के सामने के हिस्से )
प्रोफेसर कीथ एल मूर के मुताबिक पिछले साठ वर्षों में ही वैज्ञानिकों को मस्तिष्क के इस हिस्से की कार्यप्रणाली का पता चला है।