बिदअत क्या है?
लुगत मे बिदअत के माने ऐसी बात के हैं जो पहले मौजूद न हो| अल्लाह का एक नाम “बदीअ” भी हैं जिसके माने नये सिरे से (या पहली बार) बनाने वाला| कुरान मे अल्लाह ने इस लफ़्ज़ को कई जगह फ़रमाया हैं|
इरशाद बारी तालाह हैं-
अल्लाह ताला ने ज़मीन व आसमान को पहली बार पैदा करने वाला हैं और जब वो किसी काम को करने का इरादा कर लेता हैं तो कहता हैं हो जा और वो हो जाता हैं|
(सूरह अल बकरा 2/117)
कुरान की आयत से साबित हैं के आसमान व ज़मीन को अल्लाह ने पहली बार पैदा किया और इससे पहले ज़मीन व आसमान ने थे जैसा के आयत मे हैं “पहली बार”(बदीअ)| लिहाज़ा ये साफ़ तौर पर ज़ाहिर हैं के बिदअत से मुराद किसी नयी चीज़ से हैं|
शरीयत इस्लाम मे बिदअत के माने हर वो अमल बिदअत कहलाता हैं जो नेकी समझ कर किया जाये लेकिन शरियत मे इसकी कोई बुनियाद व सबूत न हो यानि न तो नबी सल्ललाहो अलेहे व सल्लम ने खुद उस अमल को किया हो, न तो किसी और को हुक्म दिया हो और न किसी को इसकी इजाज़त दी हो| सबसे ज़्यादा नुक्सान बिदआत से हैं क्योकि बिदआत नेकी और दीन का काम समझ कर करी जाती हैं इसलिये बिदअती इसे तर्क भी नही करता जबकि दूसरे गुनाहो के मामले मे गुनाहो क एहसास मौजूद रह्ता हैं जिससे ये उम्मीद की जाती हैं के गुनाह करने वाला कभी न कभी अपने गुनाहो पर नादिम होकर तौबा कर लेगा|
अल्लाह के रसूल मुहम्मद सल्ललाहो अलेहे व सल्लम ने बिदअत के बारे मे बताया के – दीन मे हर नयी चीज़ बिदअत है, और हर बिदअत गुमराही है, और हर गुमराही का ठिकाना जह्न्नम है|
(निसाई)
हज़रत जाबिर से रिवायत है कि – नबी सल्ललाहो अलेहे व सल्लम ने फ़रमाया याद रखो बेह्तरीन बात अल्लाह कि किताब है और बेह्तरीन हिदायत मुहम्मद सल्ललाहो अलेहे व सल्लम कि हिदायत है और बद्तरीन काम दीन मे नया काम ईजाद करना है और हर बिदअत (नया ईजाद किया गया काम) गुमराही हैं|
(मुस्लिम)
हज़रत अरबाज़ बिन सारया रज़ि से रिवायत है कि – नबी सल्ललाहो अलेहे व सल्लम ने फ़रमाया दीन मे नयी चीज़ो से बचो इसलिए की हर नयी बात गुमराही हैं|(इब्ने माजा)
हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ि से रिवायत है कि – नबी सल्ललाहो अलेहे व सल्लम ने फ़रमाया तमाम बिदअते गुमराही ही है ख्वाह बज़ाहिर लोगो को अच्छी ही क्यो न लगे|
(सुनन दारमी)
हज़रत अली रज़ि से रिवायत है कि – नबी सल्ललाहो अलेहे व सल्लम ने फ़रमाया के अल्लाह ने लानत कि है ऐसे शख्स पर जो गैरुल्लाह के नाम पर जानवर ज़िबहा करे, जो ज़मीन कि हदे तब्दील करे, जो वालिदैन पर लानत करे और जो बिदअती को पनाह दे|(सहीह मुस्लिम)
नेज़ फ़रमाया के जिसने कोई ऐसा काम किया जो दीन मे नही है वो काम अल्लाह के यहां मरदूद हैं|
(बुखारी व मुस्लिम)
हज़रत अनस बिन मालिक रज़ि से रिवायत है कि – नबी सल्ललाहो अलेहे व सल्लम ने फ़रमाया के अल्लाह बिदअती कि तौबा कबूल नही करता जब तक वो बिदअत छोड न दे| (तिब्रानी)
हज़रत सुफ़ियान नूरी रहमतुल्लाह आलैह फ़रमाते हैं शैतान को मईसत के मुकबले बिदअत ज़यादा मह्बूब हैं| शरीयत की निगाह मे ये गुनाह ऐसे है जिन्हें तर्क किये बिना कोई नेक अमल कबूल नही होता न तौबा कबूल होती हैं|
लिहाज़ा बिदअती की सारी मेहनत उस मज़दूर की तरह है जो दिन भर मेहनत मज़दूरी करे और उसे कोई मज़दूरी न मिलें सिवाये थकावट और वक्त की बरबादी के|
क़यामत के रोज़ जब नबी सल्ललाहो अलेहे व सल्लम हौज़े कौसर से अपनी उम्मत को पानी पिला रहे होगें तो कुछ लोग आयेगें जिन्हें नबी सल्ललाहो अलेहे व सल्लम अपनी उम्मत समझेगें लेकिन फ़रिश्ते बतायेगें के ये वो लोग है जिन्होने आप के बाद बिदअत शुरु कर दी तो नबी सल्ललाहो अलेहे व सल्लम फ़रमायेगें के दफ़ा और दूर हो वो लोग जिन्होने मेरे बाद दीन को बदल डाला|
(बुखारी व मुस्लिम)