Shaitaan Ki Shazish

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शैतान की साजिश

shazishअल्लाह ने कुरान मे साफ़ लफ़्ज़ो मे इन्सान को इस बात से आगाह कर दिया के शैतान इन्सान का खुला दुश्मन हैं|

ऐ ईमानवालो इस्लाम मे पूरे के पूरे दाखिल हो जाओ और शैतान के कदमो पर मत चलो वो तुम्हारा खुला हुआ दुश्मन हैं| (सूरह अल बकरा 2/208)

दरहकीकत एक खुला हुआ दुश्मन वो होता हैं जो जब भी मौका मिले नुकसान पहुँचाए और इस काम मे कोई कोताही न बरते| ऐसे दुश्मन को मारा नही जा सकता अलबत्ता रोका ज़रुर जा सकता हैं| यहा रोकने से ताल्लुक ये नही के शैतान को काबू नही किया जा सकता बल्कि कत्ल करके हमेशा के लिये खत्म नही किया जा सकता सिवाये उसके शर से बचने के क्योकि जो चीज़ हमारे नज़रो मे नही उसके बाद भी अगर वो चीज़ हमे नुकसान पहुँचा रही हैं तो ज़ाहिर सी बात हैं के रुहानी तौर पर हमे उससे बचाव करना हैं न के जिस्मानी तौर पर उससे लड़ कर उसे हरा दिया जाये|

तुझे ज़रुर मोहलत दी गयी, कहने लगा चूंकि तूने मेरी राह मारी हैं तो मैं भी तेरी सिधी राह पर बनी आदम (गुमराह करने के लिये) की ताक मे बैठूँगा तो फ़िर इन पर हमला करुँगा और इनके दाहिने से और इनके बांए से(गरज़ हर तरफ़ से) इन्हे बहकाऊँगा और तू इनमे से बहुतो अपना शुक्रगुज़ार नही पायेगा| (सूरह आराफ़ 7/15-18)

नस्ल इन्सानी को गुमराह करने के लिये शैतान ने उसकी हर राह पर गुमराही का जाल बिछा रखा हैं और आज उम्मते मुहम्मदिया शैतान के इन फ़रेब मे बाआसानी फ़ंस जाती हैं इन्सान चाहे किसी भी ज़मीन पर रहे मगर कोई ज़मीन ऐसी नही जहा शैतान न हो क्योकि इन्सान की आज़माईश के लिए शैतान को इस बात की मोहलत अल्लाह के जानिब से दी गयी हैं के वो इन्सान की ताक मे उसे गुमराह करे मगर बाज़ अल्लाह के बन्दे ऐसे हैं जो शैतान के इन फ़न्दो से महफ़ूज़ हैं क्योकि उनकी तवक्को सिर्फ़ अल्लाह पर हैं और खुद नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने इस शैतान मरदूद से बचने के लिये भी रास्ते बताये हैं की शैतान किस तरह अपने दांव खेलता हैं और इन्सान को किस तरह उससे बचना चाहिए|

ऐ ईमान्वालो बात यही हैं के शराब और जुए और थान और फ़ाल निकालने के पांसे के तीर ये सब गन्दी बाते, शैतानी काम हैं इन सबसे बिल्कुल अलग रहो ताकि तुम फ़लाह पाओ| शैतान तो चाहता हैं के शराब और जुए के ज़रिये से तुम्हारे आपस मे अदावत और बुग्ज़ पैदा करा दे और अल्लाह की याद से और नमाज़ से तुम को दूर कर दे, सो अब भी बाज़ आ जाओ| (सूरह माईदा 5/90, 91)

इसमे शक नही के जब बन्दा कोई बुरा काम करता हैं तो अल्लाह से उसकी दूरी होना एकदम खुली बात हैं साथ ही साथ लगातार बुरे काम करते रहने के सबब इन्सान शैतान बन कर शैतान का साथी बन कर बुरे कामो मे उसकी मदद करता हैं| ये शराब, जुआ, बुतपरस्ती इन्सान को अल्लाह से दूर कर देती हैं और इन्सान शैतान के दांव मे फ़स कर इसे अच्छा काम समझ कर इसे करता चला जाता हैं और एक वक्त ऐसा आता हैं के उसका दिल बिल्कुल अल्लाह की याद से गाफ़िल हो जाता हैं| अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-

शैतान ने उनकी करतूतो को (उनकी नज़र मे) अच्छा कर दिखाया हैं और उनको राहे रास्त से रोक रखा हैं| (सूरह नम्ल 27/24)

शैतान ने उनकी नज़र मे उनके कामो को अच्छा कर दिखाया था और उनको सीधी राह से रोक दिया था हालाकि वो बड़े होशियार लोग थे| (सूरह अनकबूत 29/24)

जिसने अल्लाह को छोड़ कर शैतान को अपना सरपरस्त बनाया तो उसने खुल्लम खुल्ला सख्त घाटा उठाया, शैतान उनसे अच्छे-अच्छे वायदे भी करता हैं, उम्मीदे भी दिलाता हैं और शैतान उनसे जो कुछ वायदे करता हैं वह बस धोखा हैं| (सूरह निसा 4/119, 120)

ब्याज भी एक किस्म का सल्लललाहो अलेहे वसल्लमगीन जुर्म हैंजिससे अल्लाह और उसके रसूल सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने बहुत सख्ती से मना फ़रमाया हैं सूद एक ऐसा गुनाह हैं और अमल हैं जो अमीर को और अमीर और गरीब को और गरीब कर देता हैं जब्कि अल्लाह की नज़र मे तमाम इन्सान बराबर हैं और इस मीज़ान को बराबर रखने के लिये अल्लाह ने ज़कात का निज़ाम बनाया ताकि लोगो की माआशरी ज़रुरत और हालात मे सुधार हो और कोई भीख मांगता न नज़र ना आये या कोई अपनी ज़रुरत को पूरा करने के लिये चोरी वगैराह न करे|

जो लोग सूद खाते हैं वो लोग कभी खड़े होगें मगर इसी तरह जिस वो खड़ा होता हैं जिसे शैतान ने छू कर पागल बना दिया हो| ये इसलिये के ये कहा करते थे के तिजारत भी तो सूद ही की तरह हैं, हांलाकि अल्लाह ने तिजारत को हलाल किया और सूद को हराम किया| जो शख्स अपने पास अल्लाह की आई हुई नसीहत सुन कर रुक गया इसके लिये वो हैं जो गुज़रा और इस का मामला अल्लाह की तरफ़ हैं, और जो फ़िर दोबारा (हराम) की तरफ़ लौटा वो जहन्नमी हैं, ऐसे लोग हमेशा इसमे रहेंगे| अल्लाह सूद को मिटाता हैं और सदका को बढ़ाता हैं और अल्लाह किसी नाशुक्रे और गुनाह्गार से मोहब्बत नही करता|( सूरह अल बकरा 2/275, 276)

मुनाफ़िक कि पहचान उसका धोखा हैं जो वो कभी भी अपने ज़ाती मफ़ाद के लिये किसी को देता हैं| उसका माल खर्च करना या इबादत करना भी महज़ एक दिखावा होता हैं| ऐसे लोगो की पहचान भी अल्लाह ने कुरान मे खोल-खोल के ब्यान कर दी हैं|

और जो लोग महज़ लोगो को दिखाने के वास्ते अपने माल को ख्र्च करते हैं और न अल्लाह पर ईमान रखते हैं और न आखिरत पर, तो अल्लाह भी उनके साथ नही क्योकि उनका साथी तो शैतान हैं और जिसका साथी शैतान हो तो क्या ही बुरा साथी हैं| (सूरह निसा 4/38)

इसमे कोई शक नही के जब इन्सान मुफ़लिस होता हैं तो उसे बहुत सी परेशानी का सामना करना पड़ता हैं और शैतान इन्सान की इसी कमज़ोरी का फ़ायदा उठा कर उसे चोरी, झूठ, फ़रेब और दूसरे गन्दे कामो के लिये उकसाता जिससे वो अल्लाह से दूर हो जाये| अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-

शैतान तुम्हे मुफ़लिसि से डराता हैं और बुराई की तरफ़ बुलाता हैं और अल्लाह तुम्हे अपने बख्शिश और फ़ज़्ल का वायदा करता हैं और अल्लाह बड़ी गुन्जाईश वाला और सब बातो का जानने वाला हैं| (सूरह अल बकरा 2/268)

अल्लाह ने इस दुनिया मे इन्सान को गुमराही से बचाने के लिये उसके हर कदम पर निशानिया रखी ताकि इन्सान चलते-फ़िरते अल्लाह की इन निशानियो पर गौर करे और अपने ईमान को तरोताज़ा करे जबकि शैतान इन्सान को अल्लाह की याद से गाफ़िल करने के लिये हमेशा उसकी राह मे दांव खेलता रहता हैं|

अल्लाह उन लोगो का सरपरस्त हैं जो ईमान ला चुके और उन्हे तारिकियो से निकाल कर रोशनी मे लाता हैं और जिन लोगो ने कुफ़्र इख्तयार किया उन्सके सरपरस्त शैतान हैं कि उनको रोशनी से निकाल कर तारिकीयो मे डाल देते हैं यही लोग जहन्नमी हैं| उसमे हमेशा रहेगे| (सूरह अल बकरा 2/257)

ऐ ईमानवालो शैतान के कदम ब कदम न चलो और जो शैतान के कदम ब कदम चलेगा तो वह यकीनन उसे बदकारी और बुरी बात का हुक्म देगा| (सूरह नूर 24/21)

शैतान की चालो और उसके शर से बचने के लिये नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने बहुत से तरिके बताये जो इस तरह हैं-

हज़रत अबू हुरैरा रज़ि0 से रिवायत हैं के नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने फ़रमाया – तुम मे से किसी के पास शैतान आता हैं और तुम्हारे दिल मे पहले तो ये सवाल पैदा करता हैं के फ़ला चीज़ किस ने पैदा कि, फ़ला चीज़ किस ने पैदा करी? और आखीर मे बात यहा तक पहुंचाता हैं के खुद तुम्हारे रब को किस ने पैदा किया? जब शैतान किसी शख्स को ऐसा वसवसा डाले तो इसे अल्लाह से पनाह मांगनी चाहिये, शैतानी ख्याल छोड़ दे| (बुखारी)

हज़रत अबू हुरैरा रज़ि0 से रिवायत हैं के नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने नमाज़ पढ़ी और फ़ारिग होने के बाद फ़रमाया – शैतान मेरे सामने आ गया था और नमाज़ तुड़वाने की कोशीश शुरु कर दी थी, लेकिन अल्लाह ने मुझे इस पर गालिब कर दिया| (बुखारी)

हज़रत अबू हुरैरा रज़ि0 से रिवायत हैं के नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने फ़रमाया – शैतान हर इन्सान की पैदाईश के वक्त अपनी उंगली से इसके पहलू मे कचोके लगाता हैं सिवाये ईसा बिन मरयम अलै0 के जब वो इन्हे कचोके लगाने गया तो पर्दे पर लगा आया था(यानि अल्लाह ने इसे रोके रखा था)| (बुखारी)

हज़रत अबदुल्लाह बिन अबी कतादा अपने वालिद से रिवायत करते हैं के नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने फ़रमाया – अच्छा ख्वाब अल्लाह की तरफ़ से हैं और बुरा ख्वाब शैतान की तरफ़ से हैं| इसलिये अगर कोई बुरा और डरावना ख्वाब देखे तो बाये तरफ़ थू-थू करके शैतान के शर से अल्लाह से पनाह मांगे| इसके इस अमल से शैतान इसे कोई नुकसान न पहुचा सकेगा| (बुखारी)

ये हदीसे और इस जैसी बहुत सी हदीसे और कुरान मौजूद हैं जिसमे अल्लाह और उसके रसूल सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने शैतान से बचने के तरिके बताये लिहाज़ा हर इन्सान को चाहिये के कुरान और हदीस की तालिम से वाबस्ता रहे और इस पर अमल करे ताकि शैतान के शर और दांव-पेच से महफ़ूज़ रहे|


Courtesy :
www.ieroworld.net
Taqwa Islamic School
Islamic Educational & Research Organization ( IERO )

 


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