कौमे समूद
मदीना मुनव्वरा से करीब 400 किलो मीटर दूर ”मदाइन सालेह” के नाम से एक बहुत बड़ा इलाक़ा है, यहाँ करीब 5000 साल पहले एक कौम आबाद थी जिसका नाम कौमे समूद था, ये लोग लम्बे चौड़े कद के और बहुत ताकत वर हुआ करते थे, कहा जाता है कि इनकी उम्र भी बहुत हुआ करती थी इसी लिए ये पहाड़ों को खोद कर बड़े बड़े और मज़बूत घर बनाते थे
इन लोगों ने अल्लाह को बिलकुल भुला दिया था और अपने मन से तरह तरह के बुत बना कर उनकी पूजा किया करते थे, अल्लाह ने इनकी हिदायत के लिए अपने पैगम्बर सालेह (अ) को इनमे भेजा, उन्होंने फ़रमाया ऐ मेरी कौम मैं तुम्हारे लिए अल्लाह का पैगाम लाया हूँ कि तुम्हारा रब सिर्फ एक अल्लाह है सो तुम सिर्फ उसी की इबादत करो, लेकिन उनकी कौम ने मानने से इन्कार कर दिया और कहा अगर तुम अल्लाह के सच्चे पैगम्बर हो तो हमें कोई मोजज़ा (चमत्कार) दिखाओ, पैगम्बर ने कहा तुम क्या देखना चाहते हो ?
उन्होंने कहा कि अगर तुम इस चट्टान से एक गाभिन ऊंटनि निकाल कर दिखाओ जो हमारे सामने बच्चा जने तो हम माने के तुम सच्चे हो, सालेह (अ) ने अल्लाह से दुआ की और उस चट्टान से एक बहुत बड़ी गाभिन ऊंटनि निकली जिसने बच्चा जना, सालेह (अ) ने कहा कि देखो यह अल्लाह की निशानी है तुम इसे कोई नुकसान ना पहुँचाना नहीं तो तुम पर अल्लाह का अजाब आ जाएगा.
लेकिन कौम ने फिर भी उनकी बात नहीं मानी क्यों कि उन्हें अपनी ताकत और पहाड़ों में बनाए हुए अपने मजबूत घरों पर बड़ा घमंड था और अपने बनाए हुए ख्याली खुदाओं से बहुत मुहब्बत थी उस मुहब्बत ने उन्हें अल्लाह से सरकशी पर उभारा तो उन्होंने उस ऊँटनि को क़त्ल कर दिया और उसका बच्चा एक चींख मार कर उसी चट्टान में गायब हो गया जिससे उसकी माँ निकली थी.
फिर उनलोगों ने हज़रत सालेह (अ) और जो थोड़े से लोग उन पर इमान लाए थे उनको भी क़त्ल करने का प्लान बना लिया.
हज़रत सालेह (अ) को व्ही के ज़रये उनकी कौम की हरकत की खबर अल्लाह ने उनको दी और इमान लाने वालों को साथ लेकर वहां से दूर चले जाने का हुक्म दिया.
और फिर जैसा कि अल्लाह की सुन्नत है- अल्लाह ने इमान वालों को बचा लिया और काफिरों पर भयानक चीखों, ज़लज़लों और दम घोट देने वाले धुएँ के तूफानों के अज़ाब से उस शहर को ख़तम कर दिया और वो बस्ती ऐसे हो गई जैसे वहां कोई रहता ही नहीं था.
By: Sikander Khanjada Khan
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