American Media Mere Islam Apnane Ki Baat Ko Pacha Nahin Paya – Jermaine Jackson

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अमेरिकी मीडिया मेरे इस्लाम अपनाने की बात को पचा नहीं पाया – जेरीमन जैक्सन (पॉप सिंगर माइकल जैक्सन के बड़े भाई)

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मशहूर पॉप सिंगर माइकल जेक्सन इस्लाम अपनाकर मिकाइल बन गए हें यह तो आप जानते हें लेकिन क्या आप जानते हैं माइकल के बड़े भाई जो खुद पॉप सिंगर और गिटारवादक थे. वे भी 1989 में मुस्लिम हो गए थे।

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अमेरिका के मशहूर पॉप सिंगर माइकल जैक्सन के बड़े भाई जेरीमन जैक्सन ने 1989 में इस्लाम अपना लिया। इस्लाम कबूल करने के बाद जेरीमन जैक्सन का पहली बार इन्टरव्यू लन्दन के अरबी समाचार पत्र अल-मुजल्ला में प्रकाशित हुआ।
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इस इन्टरव्यू में उन्होंने इस्लाम अपनाने से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए। यह उस वक्त का इन्टरव्यू है जब इनके छोटे भाई माइकल जैक्शन मुस्लिम नहीं हुए थे।

इस्लाम की तरफ आपका सफर कब और कैसे शुरू हुआ ?

1989 की बात है, जब मैं अपनी बहन के साथ मध्यपूर्वी देशों की यात्रा पर गया था। बहरीन में रुकने पर हमारा गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया। मैं कुछ बच्चों से मिला और उनसे हल्की-फुल्की गपशप की। मैंने उनसे कुछ सवाल पूछे और उन मासूम बच्चों ने भी जिज्ञासापूर्वक मेरे से कई बातें पूछी। बातचीत के दौरान उन्होंने मुझसे मेरे धर्म के बारे में सवाल किया। मैंने उन बच्चों को बताया कि मैं ईसाई हूं। जब मैंने उनसे पूछा, “आप किस धर्म के हो ?”

इस सवाल पर उनके चेहरे पर एक खास चमक नजर आई। वे सब एक साथ बोले – इस्लाम।

उनके इस उत्साहित उत्तर ने मुझे अन्दर तक हिलाकर रख दिया। फिर वे मुझे इस्लाम के बारे में बताने लगे। उन बच्चों ने अपनी उम्र के मुताबिक टुकड़ों में मुझे इस्लाम से जुड़ी कुछ जानकारी दी। उनके बात करने के अन्दाज से मुझे लगा कि उन्हें इस्लाम पर गर्व है। इस तरह मेरा रुख इस्लाम की तरफ हुआ।

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इस्लाम कबूल करने के बाद आपने कैसा महसूस किया ?

इस्लाम अपनाने के बाद मुझे लगा मानो मुझे नई जिंदगी मिली हो। मैंने इस्लाम में उन सभी सवालों के जवाब पाए जिनके जवाब मैं ईसाई धर्म में नहीं खोज पाया था। खासतौर पर इस्लाम में ही मुझे ईसा मसीह के जन्म संबंधी सवाल का संतोषप्रद जवाब मिला।

मैं पहली बार धर्म के मायने सही तरीके से समझ पाया। मैंने अपने परिवार वालों से इस्लाम की इन बातों को प्रोत्साहित करने की विनती की। मेरा परिवार ईसाई धर्म के एवेन्डेन्स ऑफ जेहोवा पंथ का अनुयायी है। इस मत के अनुसार सिर्फ 144,000 आदमी ही स्वर्ग में जाएंगे। ऐसे कैसे हो सकता है?

मेरे लिए हमेशा यह हैरानी की बात बनी रहती थी। मुझे यह जानकर ताज्जुब हुआ कि बाइबल कई सारे लोगों ने संकलित की खासतौर पर किंग जेम्स ने अपने हिसाब से बाइबल को संकलित करा कर उसको अधिकृत माना।

मुझे आश्चर्य हुआ कि एक आदमी ईश्वरीय ग्रन्थ का संकलन करता है और इसे ईश्वर से जोड़ देता है लेकिन सच्चाई यह है कि इस तरह के संकलन में ईश्वरीय आदेशों की पालना नहीं की गई। सऊदी अरब ठहरने के दौरान मुझे इंग्लैण्ड के पूर्व पॉप स्टार केट स्टीवन्स से मुस्लिम बने यूसुफ इस्लाम की इस्लामिक कैसेट खरीदने का मौका मिला। इन कै सेट्स से मैंने बहुत कुछ सीखा।

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इस्लाम कबूल करने के बाद अमेरिका लौटने पर किस तरह की प्रतिक्रिया हुई ?

अमेरिका लौटने पर अमेरिकी मीडिया ने इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ जमकर जहर उगला। इस तरह की चर्चाओं ने मेरे दिलो दिमाग पर असर डाला। हॉलीवुड भी मुसलमानों की जमकर निंदा करने में लगा था। वे मुसलमानों को आतंकवादी के रूप में पेश करते थे।

ईसाईयत और इस्लाम में कई बातों में समानता है जैसे कि पवित्र कुरआन ईसा मसीह को एक पैगम्बर का दर्जा देता है। मुझे आश्चर्य हुआ कि फिर क्यों अमेरिका के ईसाई मुसलमानों पर बेतुके आरोप लगाते हैं। इस माहौल ने मुझे निराश ही किया। मैंने तय किया कि अमेरिकी मीडिया की इस्लाम और मुसलमानों की बनाई इस गलत इमेज को दूर करने की भरपूर कोशिश करुंगा।

मुझे इस बात का अंदाजा नहीं था कि अमेरिकी मीडिया मेरे इस्लाम अपनाने की बात को पचा नहीं पाएगा और इस मुद्दे पर इतना ज्यादा हो हल्ला करेगा। अमेरिकी मीडिया की यह भूमिका अभिव्यक्ति और अंतरात्मा की स्वतंत्रता के लंबे चोड़े खोखले दावों की पोल खोल रही थी। इस तरह अमेरिकी समाज का पाखंड खुलकर मेरे सामने आया।

इस्लाम ने मेरी कई समस्याओं के समाधान सुझाए। मैं खुद को एक अच्छा और पूर्ण इंसान महसूस करने लगा। मुस्लिम होने के बाद मैंने खुद में काफी अच्छे बदलाव महसूस किए। मैंने वे सारी चीजें छोड़ दी जो इस्लाम में मना है। मेरे परिवार के सामने भी मुश्किलें आईं। यूं कहें कि जैक्शन परिवार अंतरद्वंद्व में था। मुझे लिखे गए धमकी भरे पत्रों ने मेरे परिवार को चिंतित किया।

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आपको किस तरह की धमकियां दी गई ?

मुझे धमकी दी गई कि इस्लाम अपनाकर मैंने अमेरिकी समाज और सभ्यता से दुश्मनी पाल ली है। मुझे कहा गया कि मैंने अन्य अमेरिकियों के साथ संबंध बनाए रखने का अधिकार खो दिया है। मुझे धमकाया गया कि वे अमेरिका में मेरा जीना हराम कर देंगे। लेकिन मैं मानता हूं कि मेरा परिवार खुले विचारों वाला है। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। हमारे माता-पिता ने हमें बचपन से ही ऐसा सिखाया था। यही वजह है कि जैक्सन परिवार सभी धर्मों के लोगों से दोस्ताना संबंध रखता है। उसी परवरिश का नतीजा है कि मै अब तक यह सब कुछ सहन करता रहा।

आपके भाई माइकल जैक्शन की क्या प्रतिक्रिया हुई ?

अमेरिका लौटने पर मैं सऊदी अरब से काफी इस्लामिक किताबें ले आया था। खुद माइकल जैक्सन ने उनमें से कुछ किताबें अध्ययन के लिए मेरे से मांगी। इससे पहले मुसलमानों को लेकर उसका नजरिया भी अमेरिकी मीडिया का इस्लाम के खिलाफ दुष्प्रचार से प्रभावित था। वह न तो इस्लाम का विरोधी था और ना ही मुसलमानों का पक्षधर। लेकिन यह किताबें पढऩे के बाद तो वह मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी नहीं बोलता था। इस्लाम के अध्ययन का ही नतीजा था कि माइकल मुस्लिम बिजनेसमेनों में दिलचस्पी लेने लगा। अब तो वह सऊदी अरबपति राजकुमार वलीद बिन तालल की बहुराष्ट्रीय कम्पनी में बराबर का साझीदार है।

पहले यह कहा गया कि माइकल जैक्शन मुसलमानों का विरोधी है। लेकिन अब चर्चा है कि माइकल भी मुसलमान हो गया है। आखिर सच्चाई क्या है ?

मुझे अच्छी तरह याद है कि माइकल ने कभी भी मुसलमानों के खिलाफ अपमानजनक शब्द नहीं बोले। उसके तो गाने भी सबसे प्रेम करने का संदेश देते हैं। हमने तो अपने माता-पिता से सभी से प्रेम करना सीखा है । कुछ लोग उस पर मनगढन्त आरोप लगा रहे हैं। जब मैं मुस्लिम हुआ था तो मेरे खिलाफ भी तो जमकर माहौल बनाया गया था। माइकल को भी ऐसे ही बदनाम किया गया है। हालांकि इस्लाम से नजदीकी बढ़ाने पर माइकल जैक्सन की आलोचना और उसको मिली धमकियों को मीडिया गोल कर गया। लेकिन कौन जानता है तब क्या होगा जब माइकल जैक्शन इस्लाम अपना लेगा।

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आपके धर्म परिवर्तन पर परिवार के बाकी लोगों की क्या प्रतिक्रिया थी ?

मेरे अमेरिका लौटने से पहले ही मेरी मां जान चुकी थी कि मैं मुसलमान हो गया हू। मेरी मां धार्मिक और सभ्य महिला है। उसने मेरे से सिर्फ एक ही सवाल पूछा-तुमने मुसलमान होने का फैसला अचानक लिया है या फिर गहन अध्ययन और चिंतन के बाद ?

मैंने जवाब दिया, “अच्छी तरह चिन्तन और मनन करके ही मैंने यह निर्णय लिया है।” हमारा परिवार आस्थावान परिवार के रूप में जाना जाता है। जो कुछ भी आज हम हैं ईश्वर की अनुकम्पा से ही हैं फिर भला ईश्वर के प्रति हमारा समर्पण क्यों न हो ?

इसी वजह से तो हम जनकल्याणकारी संस्थाओं के जरिए सक्रिय रूप से जन कल्याण में जुटे रहते हैं। हमने गरीब अफ्रीकी देशों के लिए विशेष एयरक्राफ्ट से दवा भिजवाई। बोस्निया युद्ध के दौरान हमने अपने एयरक्राफ्ट के जरिए पीडि़तों की मदद की। हम इस तरह के कामों को लेकर संवेदनशील रहते हैं क्योंकि हमने भी गरीबी को झेला है। हम ऐसे घर में रहते थे जो मुश्किल से कुछ स्क्वायर मीटर ही था।

क्या आपने अपनी पॉप स्टार बहन जेनेट जेक्शन से इस्लाम के संबंध में चर्चा की थी ?

मेरे धर्म परिवर्तन करने से परिवार के अन्य सदस्यों की तरह मेरी बहन को भी आश्चर्य हुआ। शुरू में तो वह बेहद चिंतित हुई। उसके दिमाग में तो एक ही बात बैठी हुई थी कि मुसलमान कई विवाह करते हैं। जब मैंने उसको अमेरिकी समाज के सन्दर्भ के साथ यह बात बताई कि इस्लाम किन हालात में दूसरे विवाह की इजाजत देता है तो वह जवाब से सन्तुष्ट थी। हकीकत यही है कि पश्चिमी समाज में बेहयाई और बेवफाई आम है। पाश्चात्य देशों में शादीशुदा होने के बावजूद पुरुषों के कई अन्य महिलाओं से शारीरिक संबंध होते हैं। पश्चिमी समाज के नैतिक पतन का यह एक प्रमुख कारण है जबकि इस्लाम इस नैतिक पतन से समाज को बचाए रखने के उपाय सुझाता है।

इस्लाम के मुताबिक अगर कोई शख्स किसी महिला की तरफ आकर्षित होता है तो उसके लिए जरूरी है कि वह इस रिश्ते को सम्मानजनक तरीके से निभाए और इसे कानूनी जामा पहनाए। अगर वह ऐसा नहीं कर पाता है तो वह अपनी एक पत्नी के साथ ही निर्वाह करे। दूसरी तरफ यह भी सच्चाई है कि इस्लाम दूसरी शादी पर इतनी शर्तें लगा देता है कि एक आम मुस्लिम के लिए आर्थिक रूप से इनको निभा पाना मुश्किल है। मुस्लिम दुनिया में मुश्किल से एक फीसदी लोग होंगे जिनके एक से अधिक पत्नियां हैं। मेरा मानना है कि इस्लामिक समाज में महिलाएं उस सुगन्धित फूल की तरह है जो घूरने वाली वासनायुक्त निगाह से पूरी तरह से सुरक्षित हैं। दूसरी तरफ पश्चिमी समाज ऐसी सोच से पूरी तरह खाली है। पश्चिम को इस तरह के ज्ञान और दर्शन की सराहना करनी चाहिए।

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मुस्लिम सोसाइटी को देखने पर आपको कैसा महसूस हुआ ?

मुझे इसमें मानवता के व्यापक हित नजर आए। मेरा मानना है कि इस्लामिक सोसाइटी इस ग्रह की सबसे सुरक्षित जगह है। महिलाओं का ही उदाहरण लीजिए। अमेरिकी महिलाएं इस तरह के परिधान पहनती हैं जो पुरुषों को उनके उत्पीडऩ का आमत्रंण देते हैं। जबकि इस्लामिक समाज में ऐसा बिल्कुल भी देखने को नहीं मिलेगा। दूसरी तरफ विभिन्न तरह के बिगाड़ों से पश्चिमी समाज का नैतिक पतन हो चुका है। मेरा मानना है कि अगर इंसानियत कहीं बची है तो सिर्फ इस्लामिक सोसाइटी में। समय आएगा जब पूरी दुनिया इस सच्चाई को स्वीकार करेगी।

अमेरिकी मीडिया के बारे में आपके क्या विचार हैं ?

अमेरिकी मीडिया अन्तर्विरोधों से भरा पड़ा है। हॉलीवुड का उदाहरण लीजिए, जहां आर्टिस्ट का स्तर उसकी गाड़ी के मॉडल और जिस रेस्टोरेंट में वह जाता है, उससे आंका जाता है। मीडिया ही है जो किसी को जमीन से उठाकर आसमान पर बिठा देता है। वह नहीं सोचता कि आर्टिस्ट भी आखिर इंसान ही होते हैं।

मैं मध्यपूर्वी देशों के कई आर्टिस्टों से मिला जिनमें ना कोई घमण्ड था और ना ही किसी तरह की गलतफहमी। सीएनएन टीवी चैनल देखते वक्त कुछ छोटी खबरों की बड़ी प्रस्तुति से लगता है मानो दुनिया में इनके अलावा कुछ घटित ही ना हुआ हो। फ्लोरिडा के जंगलों में लगी आग की खबर को देखकर तो ऐसा लगा मानो पूरी पृथ्वी ही आग की चपेट में आ गई हो, जबकि सच्चाई यह थी कि यह एक छोटा सा इलाका था जो आग की चपेट में आ गया था।

ओखामा शहर में जब बम ब्लास्ट हुए उस वक्त मैं अफ्रीका में था। बिना किसी सबूत के मीडिया इसमें मुस्लिमों के हाथ होने के खबरें देने लगा। जांच-पड़ताल होने पर इस बम ब्लास्ट का दोषी एक ईसाई निकला। इससे हम अमेरिकी मीडिया की सोच को समझ सकते हैं।

अमेरिकन मीडिया ने तो सऊदी अरब को भी नहीं छोड़ा और उसके बारे में अजीब तरह की खबरें फैलाता रहता है। जब मैं पहली बार सऊदी अरब गया तो मेरा मानना था कि वहां के मकान ऐसे ही होंगे और वहां का कम्यूनिकेशन नेटवर्क भी कमजोर होगा। लेकिन जब मैं वहंा पहुंचा तो हैरान रह गया। मुझे यह दुनिया का सभ्य और खूबसूरत मुल्क लगा।

क्या आप अपने इस्लामिक व्यक्तित्व और फैमिली कल्चर के बीच तालमेल बिठा लेते हैं ?

क्यों नहीं। अच्छी बातों और उपलब्धियों के बीच तालमेल बनाए रखा जा सकता है।

इस्लाम अपनाने के बाद क्या आप मशहूर बॉक्सर मुहम्मद अली से मिले ?

मुहम्मद अली हमारे पारिवारिक मित्र हैं। मुसलमान होने के बाद मैं उनसे कई बार मिला। वे इस्लाम से संबंधित मुझे अच्छी बातें बताते हैं।

क्या आपने लॉस एन्जिल्स शहर की शाह फैसल मस्जिद देखी ?

हां, वास्तव में यह एक खूबसूरत मस्जिद है। मैं भी ऐसी ही एक खूबसूरत मस्जिद फालिस इलाके में बनवाना चाहता हंू। क्योंकि इस इलाके में मस्जिद नहीं है और यहां के मुस्लिम आथ्ििक रूप से सक्षम नहीं है कि इस पॉश इलाके में मस्जिद के लिए जमीन खरीद सके। अल्लाह ने चाहा तो मैं यह काम करूंगा।

इस्लाम के मामले में आप किससे ज्यादा प्रभावित हुए ?

मैं कई लोगों से प्रभावित हुआ लेकिन सच्चाई यह है कि सबसे पहले मैंने कुरआन का अध्ययन किया क्योंकि मैं इस रास्ते में आधी-अधूरी जानकारी रखकर किसी तरह का जौखिम नहीं उठाना चाहता था। हालांकि कई ऐसे इस्लामिक उलमा है जिन पर फख्र किया जा सकता है। अल्लाह को मंजूर हुआ तो मेरा इरादा अपने परिवार के साथ उमरा के लिए सऊदी अरब जाने का है।

क्या आपकी पत्नी और बच्चे भी मुसलमान हैं ?

मेरे सात बेटे और दो बेटियां हैं जो मेरी तरह ही मुस्लिम हैं। मेरी पत्नी अभी इस्लाम का अध्ययन कर रही है। वह सऊदी अरब जाने के लिए जोर देती है। मुझे भरोसा है कि इन्शा अल्लाह वह भी जल्दी इस्लाम अपना लेगी। सर्वशक्तिमान ईश्वर से दुआ है कि वह हमें इस सच्चे धर्म पर जमे रहने का साहस और सब्र दे। 

आमीन।


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