Saddam Husain Ne Qur’an Likha, Khud Ke Khoon Se

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सद्दाम हुसैन ने क़ुरआन लिखा था, ख़ुद के ख़ून से

Saddam Hussein

5 नवंबर के दिन ठीक 9 साल पहले इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को एक विशेष अदालत से फांसी की सजा सुनाई थी। 5 नवंबर 2006 को हुसैन को इराक में 148 लोगों की हत्या के लिए दोषी करार दिया गया था। आज इस सजा के 9 साल पूरे होने के मौके पर हम आपको इराक और सद्दाम हुसैन से जुड़े कुछ दिलचस्प फैक्ट्स बताने जा रहे हैं।

version4_صدام_حسينखुद के खून से लिखा कुरान

कुछ रिपोर्टों के मुताबिक सद्दाम हुसैन ने खुद के खून से कुरान की एक प्रति लिखी थी। कहते हैं कि 90 के दशक में इसे लिखने में कई लीटर खून का इस्तेमाल हुआ। धार्मिक मुस्लिमों के बीच अपना समर्थन हासिल करने के लिए ऐसा किया गया। हालांकि कई लोगों ने इसे एक गैर धार्मिक कदम समझा।अजीबोगरीब बात ये थी कि हुसैन की मौत के बाद अधिकारियों को यह तय करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी कि इसका क्या किया जाए। एक पवित्र किताब को नष्ट करना भी ठीक नहीं था और सद्दाम के खून से लिखी किताब को संभालकर रखना भी अधिकारी नहीं चाहते थे। बाद में इसे संरक्षित किया गया।

सद्दाम को जब गिफ्ट के बदले मिला जादूगर

जाम्बिया के पहले प्रेसिडेंट केनेथ कौन्डा और सद्दाम हुसैन के बीच बेहद खास रिश्ता था। कौन्डा 1964 से 1991 के बीच जाम्बिया के प्रेसिडेंट रहे। एक बार सद्दाम ने कौन्डा को खुश करने के लिए एक बोईंग 747 विमान में ढेरो गिफ्ट भेज दिया। इस विमान में कीमती कालीन, गहनें और अन्य सामान भरे गए थे। इसके बदले में कौन्डा ने सद्दाम को अपना निजी जादूगर को भेजा। सद्दाम की रुचि तब अंधविश्वासों में काफी बढ़ने लगी थी। उस जादूगर ने उन्हें यह बताया था कि उनके खिलाफ काफी साजिश रचने की कोशिश की जा रही है, जो आगे चलकर सच भी साबित हुई।

पीएम को मारने के दल में थे शामिल

7 अक्टूबर 1959 को सद्दाम हुसैन को उस ग्रुप में शामिल किया गया थे जिसे तत्कालीन इराकी प्रधानमंत्री अब्दुल करीम कसीम को मारने को कहा गया। कसीम खुद एक साल पहले एक खूनी आंदोलन के बाद पद पर बैठे थे। जब कसीम के ऊपर हमला किया गया तो एक गलती की वजह से वे बचने में सफल हो गए। इसके बाद सद्दाम हुसैन देश छोड़कर भाग गए थे ।

नाम में छुपा था गहरा मतलबimages (1)

1937 में जन्मे सद्दाम हुसैन अपने पिता को नहीं जानते थे। उनके जन्म से 6 महीने पहले उनके पिता गायब हो गए थे। लेकिन उनकी मां ने अरबी में जो नाम रखा, उसका मतलब होता था-एक ऐसा शख्स जो मुकाबला करे। कहते हैं कि सद्दाम ने अपने नाम को सही भी साबित किया और कई मुश्किल हालातों का सामना किया। उन्हें बचपन में अपने चाचा खैराल्लाह तलफाह के पास भेजा गया था जहां उन्होंने राजनीति भी सीखी और उनकी बेटी से शादी भी की।

मिल चुका था अवार्ड

सद्दाम हुसैन को भले ही लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया गया लेकिन उन्हें यूनेस्को की ओर से अवार्ड भी दिया जा चुका था। यूनेस्को ने माना था कि सद्दाम हुसैन ने इराक में लोगों का लिविंग स्टैंडर्ड बेहतर बनाया। इसलिए उन्हें अवार्ड दिया गया। हुसैन ने इराक में मुफ्त स्कूल खोलने और निरक्षरता दूर करने के अलावा सैनिकों के परिवार की मदद, किसानों को सहायता और हेल्थ फैसिलिटी सुधारने के लिए कदम उठाए थे। हालांकि, यूनेस्को की ओर से अवार्ड दिए जाने से पहले सद्दाम को लोग कम ही जानते थे।


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Source: Muslim Issues

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