Parlok Aur Uske Praman

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परलोक और उसके प्रमाण

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इस्लाम की परलोक-धारणा र्इश्वर की विविध विशेषताओं एवं गुणों पर आधारित हैं, जिनमें से कुछ ये है:-

  • र्इश्वर मालिक और संप्रभुतासंपन्न है।
  • र्इश्वर कर्मो का बदला देने वाला हैं।
  • र्इश्वर न्यायप्रिय हैं।
  • र्इश्वर सर्वशक्तिमान हैं।
  • र्इश्वर सब कुछ जानने वाला और सबकी खबर रखने वाला हैं।
  • र्इश्वर तत्वदश्र्ाी और बुद्धि संपन्न है।
  • र्इश्वर कृपालु और कद्रदान (गुणग्राही) हैं।

र्इश्वर विश्व और मानव का स्रष्टा और पालनकर्ता हैं। इसलिए वही विश्व और मानव का एकमात्र स्वामी और शासक है। यह एक अकाट्य सत्य है और इस सच्चार्इ का स्वाभाविक परिणाम यह हैं कि इंसान र्इश्वर का दास और उसकी प्रजा हैं और उसके लिए अनुकूल आचरण सिर्फ यह हैं की वह र्इश्वर का दास और प्रजा बनकर रहे और निरापद रूप से र्इश्वर के आदेश का पालन करे। इसके अतिरिक्त जो आचरण भी वह अपनाएगा, वह सत्य के विरूद्ध और घातक होगा।

“हे लोगो ! अपने रब (पालनकर्ता, मालिक और स्वामी) की बंदगी करो, जिसने तुम्हे पैदा किया और तुमसे पहले के लोगो को भी। उम्मीद है कि इस तरह तुम (र्इश्वर के प्रकोप) से बच सकोगे।”       (कुरआन-2:21)

जैसा कि आयत का अंतिम अंश संकेत करता हैं कि र्इश्वर के मालिक और शासक होने का स्वाभाविक परिणाम यह हैं कि  वह आज्ञाकारियों को पुरस्कार और अवज्ञाकारियों को दंड दे। सूर: फातिहा मे, जो कुरआन मजीद की पहली सूर: और पूरे कुरआन का सार और आधार है, र्इश्वर की विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार किया गया हैं:

“सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए हैं, जो सारे संसार का ‘रब’ (पालनकर्ता, परवरदिगार, मालिक, हाकिम) हैं। कृपाशील और दयावान है, उस दिन का मालिक हैं, जिस दिन बदला दिया जाएगा।”       (कुरआन-1:1-3)

‘यौमिद्दीन’ शब्द बताते हैं कि ऐसा दिन आना चाहिए और वह दिन आएगा, जब इंसानों को उनके कर्मो का फल मिलेगा। उस दिन हिसाब लेने, फैसला सुनाने और फैसले को लागू करने के सारे अधिकार र्इश्वर के हाथ में होगे। उस दिन आज्ञाकारी ‘जन्नत’ पाएंगे और अवज्ञाकारी नरक के भयंकर अजाब (प्रकोप) में डाले जाएंगे।

“निस्संदेह नेक लोग (जन्नत की) नेमतों में होंगे और दुराचारी भड़कती आग में, जिसमें वे प्रवेश करेंगे बदला दिए जाने के दिन और उससे वे निकल नही सकेंगे। और तुम्हें क्या मालूम कि क्या है बदला दिए जाने का दिन! फिर (कहता हूं), तुम्हे क्या मालूम कि क्या हैं बदला दिए का दिन! जिस दिन कोर्इ जीव किसी जीव के लिए कुछ न कर सकेगा और उस दिन संपूर्ण अधिकार और सत्ता अल्लाह के हाथ में होगी।”          (कुरआन-81:13-19)

बदला दिए जाने का दिन-जैसा कि कुरआन मजीद की आयतों से स्पष्ट होता है-वर्तमान जीवन और वर्तमान संसार में नही, इस संसार के बाद अस्तित्व मे आने वाला एक ‘शाश्वत लोक’ और इस जीवन के बाद मिलने वाला एक शाश्वत जीवन ‘परलोक’ में होगा। जीवन  और मुत्यु की यह महफिल, जिसका नाम संसार है, बदला पाने का स्थल नही, बल्कि कर्म -स्थल और परीक्षा – स्थल हैं। अत: पुरस्कार और दंड के लिए एक अन्य लोक और एक दूसरा जीवन चाहिए:

“जिसने मृत्यु और जीवन का आविर्भाव किया, ताकि तुम्हारी परीक्षा ले कि तुम में कौन अच्छे-से- अच्छा कर्म करने वाला है।”   (कुरआन-67:2)

“हर जीव को मृत्यु का स्वाद चखना है। और तुम्हे तुम्हारा भरपूर बदला ‘कियामत’ के दिन चुका दिया जाएगा, तो (उस दिन) जिसे नरक से बचा लिया गया और स्वर्ग में दाखिल कर दिया गया, तो निस्संदेह वह सफल हो गया।” 
(कुरआन-3:185)

यह कुरआन का बयान ही नही हमारा अनुभव भी हैं कि इस दुनिया मे भले इंसानों को उनके अच्छे कामों का और बुरों को उनके बुरे कामों का पूरा-पूरा बदला नही मिलता। यही नहीं, ऐसा भी होता हैं और ऐसा बहुत होता हैं कि भले इंसानों को भले कामों के जुर्म में मुसीबतों और कष्टों से दो-चार होना पड़ता हैं, वे जेल की लौह शलाकाओं के पीछे बन्द कर दिए जाते हैं। वे हृदय विदारक अत्याचारी और यातनाओं का शिकार होते हैं और अन्तत: फांसी के फंदे तक जा पहुंचते हैं,जबकि बहुत-से अत्याचारी, पापी और दुराचारी जिन्दगी भर मजे लूटते रहते हैं।

चंगेज, हलाकू, तैमूर, हिटलर और स्टालिन ने लाखो-करोड़ो लोगो पर जुल्म व सितम के पहाड़ तोड़े, परन्तु उन्हे दुनिया में सजा तो क्या मिलती, वे जिन्दगी भर ऐश और सत्ता के मजे लूटते रहे। इस स्थिति का क्या औचित्य हैं?

क्या ऐसा है कि इंसाफ, भलार्इ नैतिकता और मानवता गलत हैं और अत्याचार, बुरार्इ, शैतानियत और पशुता एवं बर्बरता सही हैं?

बुद्धि और विवेक रखने वाला कोर्इ व्यक्ति इसका उत्तर ‘हां’ में नही दे सकता। फिर क्या इसका कारण यह है कि दुनिया अंधेर नगरी हैं और यहां का राजा-खुदा-चौपट राजा है और यहां अच्छार्इ का बुरा और बुरार्इ का अच्छा बदला मिलता हैं? यदि इस स्पष्टीकरण को भी बुद्धि को भी एवं चेतना के जीवित रहते नही माना जा सकता है, तो फिर यही बात सत्य हैं की यह दुनिया कर्मफल पाने की जगह नही, बल्कि कर्म करने की जगह हैं। यहां हर व्यक्ति की परीक्षा हो रही हैं और विपत्तियां और कठिनाइयां तथा भोग विलास आदि परीक्षा के विभिन्न प्रश्नपत्र हैं। दुनिया की यह जिंदगी, कर्म हेतु मिला अवकाश हैं, फिर प्रत्येक व्यक्ति को र्इश्वर के सामने हाजिर होना और अपने सभी कर्मो का जवाब देना हैं।   

‘‘हर जीव को मौत का मजा चखना हैं और हम (दुनिया में) तुम्हे दुख और सुख दोनों तरह की परक्षाओं से आजमाते हैं और तुम सब (कर्मो का फल पाने के लिए) हमारी ही ओर लौटाए जाओगे।’’   (कुरआन-21:35)

‘‘उस दिन लोग (अल्लाह के सामने) पलटकर विभिन्न गिरोहों के रूप में आएंगे, ताकि उन्हे उनके कर्मपत्र दिखा दिए जाएं। तो जिसने कण भर भी भलार्इ की होगी, वह उसे देख लेगा और जिसने कण भर भी बुरार्इ की होगी, वह उसे देख लेगा।      (कुरआन-99:6-7)

यहां किसी को दुख और भुखमरी, बीमारी और जान-माल के खतरो के द्वारा आजमाया जा रहा हैं और किसी की सुख-चैन और भोग -विलास, के द्वारा, स्वास्थ्य और शक्ति, धन-सम्पत्ति और सत्ता के द्वारा परीक्षा ली जा रही हैं। फिर कर्म-स्थल और परीक्षा-स्थल होने ही का यह स्वाभाविक परिणाम हैं कि यहां भलार्इ और बुरार्इ, दोनों मार्गो पर अग्रसर होने के निर्बाध अवसर और दोनो के कारण तथा प्रवृत्तियां पूर्ण रूपेण उपलब्ध हैं और मनुष्य को पूरी आजादी हैं कि वह जो मार्ग चाहे अपना ले और उसी के अनुरूप परलोक में पुरस्कार या दण्ड पाए।

‘‘और (ऐ नबी!) कहो, यह सत्य है तुम्हारे ‘रब’ की ओर से तो जो चाहे र्इमान लाए और जो चाहे इनकार कर दें। निश्चय ही, हमने अत्याचारियों के लिए एक आग तैयार कर रखी हैं, जो खेमा (तंबू) बनकर उन्हे चारो ओर से घेर लेगी। यदि वे (प्यास के मारे) पानी मांगेगे तो उन्हे ऐसा पानी दिया जाएगा, जो पिघले हुए तांबे जैसा होगा और जो मुखों को भून डालेगा। बहुत ही बुरा हैं वह पेय-पदार्थ और बहुत ही बुरा हैं वह ठिकाना! (इसके विपरीत) जो लोग र्इमान लाए और अनुकूल कर्म किए (उन्हे हम निस्संदेह पूर्ण सुफल देंगे।) निस्संदेह हम अनुकूल कर्म करने वालों का फल आकारथ नही करते।’’           (कुरआन -18:29-30)


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Author Name: मौलाना सैयद हामिद अली